माता सरस्वती ज्ञान, विद्या,संगीत और कला की देवी हैं उनकी उपासना हर शिक्षार्थी , ज्ञानी और कलाकार करते हैं चाहे वह किसी भी धर्म से क्यों न हों। सरस्वती पूजा के दिन इनमे बड़ा ही उत्साह भरा होता है।
पौराणिक काल से ही माँ सरस्वती और माता लक्ष्मी की पूजा होती आ रही है। माता लक्ष्मी धन-धान्य और वैभव की देवी मानी जाती हैं। देवी लक्ष्मी की पूजा दीवाली के दिन विशेष रूप से की जाती है। तो चलिए शुरु करते हैं माता लक्ष्मी और माता सरस्वती के बीच विवाद की रोचक कहानी।
माता सरस्वती और माता लक्ष्मी के बीच विवाद की कहानी:- story of dispute between Saraswati and Maa Lakshmi:-
एक बार माता सरस्वती और माता लक्ष्मी में इस बात पर बहस छिड़ गयी कि श्रेष्ठ (बड़ा) कौन है ? माँ लक्ष्मी (सरस्वती से) कहतीं कि मैं तुमसे ज्यादा महान और बलशाली हूँ क्योंकि मैं धन -धान्य की देवी हूँ , तो सरस्वती माँ खुद को उनसे ज्यादा महान और शक्तिशाली बताती; और कहती- मैं विद्या ,बुद्धि और ज्ञान की देवी हूँ।
बहुत समय तक बहस चली परंतु कोई निष्कर्ष न निकला। अभी बहस चल ही रही थी कि उन्होंने देखा कि मृत्युलोक (धरती) पर एक किसान अपने खेत में हुई मक्के की खराब फसल देख कर अपना सिर पिट रहा था और रो भी रहा था। रात का समय था। माता लक्ष्मी ने कहा मैं चाहूँ तो इस किसान को अभी अमीर बना दूँ। माँ सरस्वती मुस्कराई और बोली- ठीक है बना दो अमीर। माता लक्ष्मी ने उस किसान के खेत में मकई के फसल में दाने की जगह को हीरे-मोती से भर दिया। अब दोनों माता अगले दिन की प्रतीक्षा करने लगीं।
अगली सुबह जब किसान उठा और खेत में फसलों की जाँच करने लगा।(यहाँ जाँच से मेरा मतलब मक्के के छिलके हटा कर देखा।) वह अभी खुशी के मारे उछलता कि इससे पहले ही माँ सरस्वती ने उसकी बुद्धि हर ली। बेचारा किसान पहले से भी ज्यादा दुःखी हो गया और ये कहकर रोने लगा कि रात में जो थोड़ी फसल थी वह भी कंकड़-पत्थर में बदल गये। अब मैं अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करूंगा? यह कहकर वह धन-धान्य की देवी लक्ष्मी को कोसने लगा।
अगली सुबह जब किसान उठा और खेत में फसलों की जाँच करने लगा।(यहाँ जाँच से मेरा मतलब मक्के के छिलके हटा कर देखा।) वह अभी खुशी के मारे उछलता कि इससे पहले ही माँ सरस्वती ने उसकी बुद्धि हर ली। बेचारा किसान पहले से भी ज्यादा दुःखी हो गया और ये कहकर रोने लगा कि रात में जो थोड़ी फसल थी वह भी कंकड़-पत्थर में बदल गये। अब मैं अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करूंगा? यह कहकर वह धन-धान्य की देवी लक्ष्मी को कोसने लगा।
यह देख देवी सरस्वती हँसने लगी और बोलीं कि अब मेरी बारी है। तभी उस खेत से कुछ ही दूरी पर स्थित सड़क से होकर एक गरीब व्यापारी गुजर रहा था। माता सरस्वती की कृपा से उस व्यापारी को जोड़ों की लघुशंका (toilet) आयी और वह खेत की तरफ दौड़ा, लघु शंका के बाद जब वह जाने लगा तभी उसने एक किसान (यह वही किसान है) को रोते देखा। व्यापारी ने उसके रोने का कारण पूछा तो उसने वह रत्न जड़ित हीरे मोती से भरी अपनी फसल दिखाई और बोला मेरे खेतों में कंकड-पत्थर उग आए। मैं तो बर्बाद हो गया। किसान ने अपने परिवार का गुजारा ना कर पाने की बात कही। किसान अपनी व्यथा व्यापारी को सुना रहा था और व्यापारी खेतों में हीरे की फसल देख आश्चर्य चकित था। उसने इतने ज्यादा मात्रा मे हीरे मोती कभी नहीं देखा था।
अब व्यापारी इस परिस्थिति का लाभ उठाने की तरकीब सोचने लगा तभी उसके दिमाग में ये विचार आया और उसने किसान से कहा तुम्हें कुछ दिनों का राशन चाहिए न मैं तुम्हें राशन दूँगा उसने किसान को छह महीने का राशन देने का वादा किया और कहा इसके बदले में तुम अपनी सारी फसल मुझे दे दो इसे छांटकर मैं अपने मवेशियों को खिला दूँगा। किसान ने अब जाकर रोना बंद किया। किसान ने व्यापारी को सारी फसल दे दी और वह व्यापारी को धन्यवाद करते नहीं थक रहा था ।
उस किसान की मूर्खता देख माता लक्ष्मी ने अपना सिर पीट लिया और माता सरस्वती को खुद से श्रेष्ठ मान लिया।
दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि ज्ञान (विद्यारूपी धन)से बड़ा कोई धन नहीं है और बल से बड़ी बुद्धि होती है। हमारे पास कितना भी धन बल क्यों न हो यदि हमारे पास उसके सदुपयोग करने का ज्ञान नहीं हो तो सब व्यर्थ है।
दोस्तों आशा करता हूँ आपको ये कहानी आपको बहुत पसंद
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आयी होगी । ऐसी ही प्रेरणादायक कहानियों के लिए हमारे ब्लॉग पर visit करते रहें। Story of maa saraswati,motivational story in hindi,story for kids, Hindi kahani, तो दोस्तों पढ़ते रहे और जीवन में आगे बढ़ते रहे ।
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